तुम न होते , कुछ न होता,
ज़ंजीरें होतीं , दर्द होता,
चीखें होतीं, जखम होता,
होती ख्वाहिशें तब भी,
मगर
पंख ख्वाहिशों का मेरे ही ज़हन में दफ़न होता,
तुम न होते , कुछ न होता।
भूख होती, दाना होता,
अधिक एक निवाले के लिए, पर हर्जाना होता,
लोग होते, ज़माना होता,
जो दिखा उसे सच बोला तो, हवालात भी जाना होता,
बारिश होती तो,
धूप भी खरीद कर सुखाना होता,
होता अखबार हमारा,
छपता वही जो उनको बताना होता,
तुम हो तो दामन मेरा आज बेदाग़ है,
तुम न होते , कुछ न होता ।
तुम न होते, मैं न होती,
देश होता, माँ न होती ।
है गौरव तू हिन्द का,
जहाँ नस - नस में गंगा - जमुनी तहज़ीब बहती है,
यहाँ गोली सीने पर एक की लगती है, और दो दो माँएं रोती हैं।
आबरू मेरी, हर पल मांगे लहु तेरा,
तूने आँचल भी सर से सरकने न दिया,
आज़ादी होती, साल 70 न होता,
तुम न होते , कुछ न होता।।