Saturday, 29 October 2016

I love u oye samaaj...

टेंशन न कोई तुझको, तू तो देता है...
बच्चे, बूढ़े, जवान , छिछोरे , सबकी लेता है...
तुझसे ही तो है अपनी आबादी,
तू है तो है घर घर में बर्बादी...
तेरी ही निगरानी में तो होते है सब काज,
I love u oye samaaj ..
I love u oye samaaj...

तुझसे ही तो है लड़कियां अंदर घर के...
चले भी कदम आगे , न उतरे आँचल सर से..
नाक पर तो तेरी यारा पकड़ निराली...
मनमानी जो करे , कटी नाक है, पड़ी है गाली..
रंक यहाँ सब तेरे आगे , तेरा ही है राज,
I love u oye samaaj ...
I love u oye samaaj...

तू ही हिम्मत वाला, तू ही रखवाला,
तेरे डर से काँपे , प्रेम करने वाला,
छी छी , थू थू करना तेरा अधिकार है,
जो न चले तेरे नियम से, धिक्कार है,
माँ बाप तेरा कोई होता तो, उनको होता नाज़,
I love u oye samaaj ...
I love u oye samaaj....

अलग कोई कुछ काम करे तो, दिलाओ उसको याद....
बाबु तुमसे न होगा, है यही तेरी औकात...
जब जब कोई आगे बढे , करे तरक्की दो चार,
पकड़ के लाओ , पंजर ढीले कर दो उसके यार...
जी में आता वो करते हो, कभी न गिरती गाझ...
इसीलिए तो...
I love u oye samaaj ...
I love u oye samaaj....

Saturday, 15 October 2016

कोई तो है....

इन रगों में लहु,
हर दम में, साँस का कतरा भरने वाला,
कोई तो है।

बारिश में भीगने की वज़ह,
बेवज़ह होठों पर हँसी बिखेरने वाला,
कोई तो है।

कवि के कलम में मिठास,
सावन के अंधे को, हरियाली का आभास कराने वाला,
कोई तो है।

नज़रें ऊपर उठती हैं, तो ज़ुबां पर चुप्पी क्यों,
ज़ुबां का ताला खुले अगर जो,
फिर ये नज़रें झुकती क्यों,
फ़ासले हों तो मन उदास क्यों,
पर जब हो दीदार , तो बेसब्री का लिबास क्यों
सपना ही अगर है ये,
तो सपने में ही चेहरे पर मीठी एक रेखा खींचने वाला,
कोई तो है।

कोई तो है , कि ज़िन्दगी दो पल से ज़्यादा लगती है,
आग का दरिया नहीं, एक ख़ूबसूरत सा वादा लगती है,
निभाना कोई मुश्किल नहीं, आसान है,
कोई तो है जिसके लिए मेरे हाथों में पूरा आसमान है।

तुम हो हक़ीक़त या नहीं,
ख़बर नहीं हमें,
रखना भी चाहे कौन,
जो मिल गयी , मर जाऊँ ख़ुशी से,
न मिली जो , फिर आँखों से लहु बहाए कौन।
जो हो, जहाँ हो,
दुआ सलामती की पहुँचती रहेगी,
किसी की दिलग्गी को भुलाया है तुमने,
अब तुम्हे दिल-ऐ-अज़ीज़ में पनाह से बचाये कौन ।

इन रगों में लहु,
हर दम में साँस का कतरा भरने वाला,
कोई तो है।।