तू आयेगी , मालूम है,
मुझे काम भी बड़े खूब हैं,
पर काज काम सब छोड़ छाड़ कर
जो डुबोया खुद को, खुशफहमी के धार में,
तब यकीं हुआ, मज़ा है इस इंतज़ार में।
आगमन तुम्हारा ,यह इकलौता भ्रमण तुम्हारा
काल के गर्भ से तुम्हारा उदित हो जाना,
मुझे हँसाना , गुदगुदाना
आओ तुम्हारे आगमन पर न्योछावर जान करू,
खोल दरवाज़े, तुम्हारे आवेदन का सम्मान करूँ
साल भर तो काम किये
किया हासिल मगर कहाँ
अब जो तुम आयी हो तो
काम और ढकोसलों में न कोई फर्क रहा
जो तुम्हारे आगमन कि तैयारी में
खुद को बेच आया मैं बाजार में
तब यकीं हुआ, मज़ा है इस इंतज़ार में।
बंद है आज काम, ठप किये कारोबार सारे
चुप हूँ बैठा, मन प्रफुल्लित ,
है एक बेचैनी कि ये करूँ या वो कर जाऊँ,
ख़ुशी इतनी ,कि हँसना चाहूँ भी तो हँस न पाऊं
आओ तुम , बातें बहुत हैं,
क्या बताऊँ , क्या छिपाऊं,
है पता तुझको सब ,
मगर न कुछ कहना , सुन लेना जो मैं सुनाऊं
आज जब खुलीआँखों से देखने लगा सपने हज़ार मैं,
तब यकीं हुआ, मज़ा है इस इंतज़ार में।।