यूहीं नहीं घर है इनसे बनता,
कुछ तो बात है,
पहला लफ्ज़ माँ यूहीं नहीं होता,
कुछ तो बात है,
यूहीं नहीं बहन के पास अपने हर राज़ महफूज़ रहते हैं,
यूहीं नहीं इसे धरती का सबसे पाक रिश्ता कहते हैं,
यूहीं नहीं बन पत्नी वो सब कुछ छोड़ आती है,
यूहीं नहीं कसम सात जनम के साथ का खाती है,
यूहीं नहीं घर की मर्यादा का भार रहता उस पर,
कुछ तो बात है..
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