मौसम बदल रहा है,
हर वक्त लगता है जैसे कहीं,
कोई लम्हा हाथ से फिसल रहा है
मौसम बदल रहा है।
धड़कने अब उफान मारने लगी हैं,
मन बिखरे रिशतों को समेटने में लगा है,
दिमाग यादों को सहेज कर सजा रहा है,
दोस्त एक दूसरे के नाम पैगाम लिख रहे हैं,
मुँह जिन्होंने फेरा था , पास आने के बहाने ढूंढ रहे हैं,
मोहब्बत करने वाले , दिल को समझाने में लगे हैं, मोहब्बत जिन्हें रास न आयी, वो अगली के पटाने में लगे हैं,
आँखों में निस दिन बाढ़ के संकेत दिखाई देते हैं,
जाने बाँध कब टूट जाये
ये सैलाब कब फूट जाये,
बैठे बैठे , हृदय जाने क्यों मचल रहा है,
शायद इसने भी भाप लिया है,
के मौसम बदल रहा है,
हर वक्त जैसे कहीं कोई लम्हा
हाथ से फिसल रहा है,
मौसम बदल रहा है।
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