मैं"मोह "के घर गया
"माया" का पता पूछने,
माया ने मेरी काया देखी
और लगी माथा नोचने,
बोली
कि मैंने तो "वासना" को तेरा पता दिया था,
तू यहाँ कैसे आ गया,
मैं बोला
उसी का हिसाब तेरे भाई "मोह" से लेने आया हूं,
और ये देख अपने साथ
तेरे दिल के टुकड़े
वासना को भी लाया हूँ,
अब उतार दे मुझसे
वासना का फेरा
वर्ना मोह को बता दूंगा
तुम दोनों के मिलन का डेरा
ये गोरख धंधा जो तुम लोग
मोह के नाम पे चलाते हो
शर्म आनी चाहिए
अपने चककर में
बेचारे भाई का नाम डुबाते हो,
रोते बिलखते माया ने हाथ जोड़े
बोली
कि
मैं माफ़ी चाहती हूँ
पर भैया को कुछ मत बताइयेगा
और हे मेरे प्रिय वासना जी
आप इनको अब कभी मत सताइयेगा।।
Tuesday, 27 October 2015
।। वासना की छुट्टी ।।
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