Wednesday, 13 July 2016

मुझे सोने दे....

वो आई थी, भर हुस्न का प्याला लायी थी,
वो आई थी, खोलने मेरे किस्मत का ताला आई थी,
मैंने कहा , मुझे सोने दे।

पापड़ मैंने बेले कितने तेरे पीछे, तुमने ख़रीदे होते काश,
आज भी छत पे सूख रहे वे,  हैं जैसे ज़िंदा लाश,
जवानी की मेहनत तो दगा दे गयी,
अब नींद मिली है किस्मत से,
"क्या होता जो तुम होती" , ऐसे ही सपने में खोने दे,
मुझे सोने दे।

दो रोज़ पहले कुछ लोग आये थे,
सूरत भले मानुस की, सीरत चोरों की लाये थे,
निकाल चाकू चीख उठे, बोले, "हिलोगे तो फिर कभी हिल न पाओगे" ,
मैं बोला, "भई ले जा जो लेना है, पर चीख पुकार न होने दे" ,
मुझे सोने दे।

देश में बड़ी लूट- पिटाई आज है,
सरकार के नाम पर, मिली भगतों का राज है,
आज ये आउट तो कल उसके सर ताज है,
जो लड़कियां अपनी मर्ज़ी की पहने, तो बेशर्म,
और मर्द निहारें, बगल की बहु - बेटी,
उन्हें नहीं कोई लाज है,
भाई बंद करो ये समाचार, ये तुच्छ विचार,
किसान गरीब मरता है,  रोता है उसका बच्चा तो उसे भूखा रोने दे,
मुझे सोने दे।

कोई विदेश दौरा करता ,
कोई घर - घर दौड़ा करता,
कोई विलायती पानी पीता,
कोई झोपड़ी - झुग्गी में चाय,
लोगों से घर वापसी कराते,
है पर इनका एक ही समुदाय,
खैर , जो होता है होने दे,
मुझे सोने दे।

जो शांत है, असमर्थ नहीं,
सेहनशीलता कभी भी व्यर्थ नहीं,
भड़क उठी जन- ज्वाला जिस दिन,
खेल खूनी होगा जरूर,
क्योंकि जोकों पर नमक डालना ,कोई अनर्थ नहीं,
एक नयी क्रांति के लिए तैयार मुझे होने दे,
नए प्रकाश में जगना है कल,
इसलिए मुझे सोने दे।।

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