Friday, 29 July 2016

आज चाँद पर पहुँचा कोई...


आज चाँद पर पहुँचा कोई, दुनिया में उसका नाम हो गया,
इधर दाम बढे हैं भाजी के, आज रोटी गुड़ से ही अपना काम हो गया।

मच्छड़ों का जुलूस निकला है, odomos लगाये फिरता हर कोई,
हमने बस मचरदानी लगायी , और मच्छड़ों का काम तमाम हो गया।

फेयरनेस क्रीम आजकल, अलग मर्दों की औरतों की अलग आती है,
हमने साबुन ही ऐसा मला की आदमी आम से खास हो गया।

बच्चा क्या जाने कि बचपना क्या होता है,
जब लालटेन जला के अपने बच्चे को क ख ग सिखाया , तब उसे बचपन का एहसास हो गया ।

छत पर आये तारों की गणना करनी थी मुझे ,
इसी शौक के आगे तो ac ,पंखा सब बेकाम हो गया।

ऐ "आम" तू बस फलों का ही राजा है,
एक दिन रूह अपनी आदमियों में फूँक दी जो,
देख तेरे भी गले में लगाम हो गया।

अब तक तो बस लत शराब की, हमें खराब लगती थी,
लो आज से दाल खाना भी हराम हो गया।

दबाती है सल्तनत हमें, हम भी जी हुज़ूरी से लाचार हैं,
कहीं कुछ ऐसा न कर जाये "कुमार" कि,
अखबारें चीख उठे कि आज एक आम आदमी शैतान हो गया।।

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